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धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 24 नवम्बर 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध हरिवंश राय बच्चन की कविता "सब नंगे हो" '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 17 नवम्बर 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “धर्मयुग" 16 नवम्बर 1975 पत्रिका में बाल दिवस विशेषांक ' ' 1. डॉ हरिकृष्ण देवसरे द्वारा प्रकाशित लेख "बाल पॉकेट बुक्स: सवाल जेब का या किताब का " '
' 2. पी.डी. टंडन द्वारा प्रकाशित लेख " ऐसे थे नेहरू जी " '
' 3. क्षितिन्द्र मोहन द्वारा प्रकाशित लेख " इंदिरा जी बचपन में " '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 10 नवम्बर 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “धर्मयुग" 1 नवम्बर 1970 पत्रिका में विद्यानिवास मिश्र द्वारा प्रकाशित लेख "इन टूटे हुए दियों से काम चलाओ" '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 03 नवम्बर 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “धर्मयुग" (01 नवम्बर 1970) पत्रिका में प्रकाशित हस्तलिखित आलेखों की सूची ' '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 27 अक्टूबर 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध "भैरव प्रसाद गुप्त" द्वारा हस्तलिखित कहानी "जनता नेता और मंत्री" '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 20 अक्टूबर 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “धर्मयुग" 4 अक्टूबर 1970 पत्रिका में अनंत काकबा प्रियोलकर द्वारा प्रकाशित लेख "भारत के दो महात्मा : चक्रधर व चर्खाधारी (गांधी) '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 13 अक्टूबर 2020 ' 'संग्रहालय में उपलब्ध “आलोचना" (अक्टूबर-दिंसम्बर 1986) पत्रिका में प्रकाशित हस्तलिखित आलेखों की सूची " '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 01 सितंबर 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “धर्मयुग" 6 सितंबर 1970 पत्रिका में ठाकुर प्रसाद सिंह द्वारा प्रकाशित लेख "भारत कला-भवन की भारतेन्दु जयंती" '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 25 अगस्त 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “धर्मयुग" 6 सितंबर 1970 पत्रिका में टी.एस.राजू द्वारा प्रकाशित लेख "वातापि गणपति भजे " '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 18 अगस्त 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “धर्मयुग" (30 अगस्त 1970 पत्रिका में वसुधा माने द्वारा प्रकाशित लेख "महाराष्ट्र का पशु उत्सव पोला" '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 11 अगस्त 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “धर्मयुग" (31 अगस्त 1975) पत्रिका में सतीश वर्मा द्वारा प्रकाशित लेख "काले कृष्ण गोरे गोप गोपियां:2" '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 04 अगस्त 2020 ' “प्रेमचंद जयंती के अवसर पर” देवीदत्त शुक्ल द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका भाग 27 खण्ड-1,जनवरी, जून 1933 में छपी कहानी “प्रेमसूत्र” '
“प्रेमचंद जयंती के अवसर पर”
' देवीदत्त एवं श्रीनाथ सिंह द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका भाग 34 खण्ड-1,जनवरी 1933 में छपी कहानी “नया विवाह” '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 28 जुलाई , 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “विष्णु प्रभाकर द्वारा हस्तलिखित कहानी "दो बहनेें" '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 21 जुलाई , 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “धर्मयुग" (20 जुलाई 1975) पत्रिका में प्रकाशित हस्तलिखित आलेखों की सूची ' '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 14 जुलाई , 2020 ' 19 जुलाई 1970 की धर्मयुग पत्रिका में प्रकाशित विद्यानिवास मिश्र की कहानी ‘अभी अभी हूं, अभी नहीं" अवलोकनार्थ प्रदर्शित की जा रही है। '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 07 जुलाई, 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “विष्णु प्रभाकर द्वारा हस्तलिखित कहानी "राधा कृष्ण" '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 30 जून , 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “विष्णु प्रभाकर द्वारा हस्तलिखित कहानी "गोपी चपरासी" '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 23 जून , 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “धर्मयुग" (22 जून 1975) पत्रिका में प्रकाशित हस्तलिखित आलेखों की सूची '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 16 जून , 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “धर्मयुग" (14 जून 1975) पत्रिका में प्रकाशित आलेखों की सूची '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 09 जून , 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “वसुधा" पत्रिका में प्रकाशित आलेखों की सूची '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 02 जून , 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “अब” पत्रिका में प्रकाशित आलेखों की सूची '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 26 मई , 2020 ' 28 सितंबर 1975 की धर्मयुग पत्रिका में प्रकाशित विद्यानिवास मिश्र का आलेख ‘तकनीक और आदमी’ तथा मेहरून्निसा परवेज की कहानी ‘रमजान की ईद’ अवलोकनार्थ प्रदर्शित की जा रही है। '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 19 मई , 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध “अब” पत्रिका में प्रकाशित आलेखों की सूची '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 12 मई , 2020 ' संग्रहालय में उपलब्ध ‘आलोचना' पत्रिका की सूची '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 05 मई , 2020 ' ‘‘संग्रहालय में उपलब्ध “अब” पत्रिका में प्रकाशित आलेखों की सूची’ ’ '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 28 अप्रैल , 2020 ' ‘‘संग्रहालय में उपलब्ध आलोचना पत्रिका में प्रकाशित आलेखों की सूचि’ ’ '
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 21 अप्रैल , 2020 ' ‘‘संग्रहालय अवलोकन व पुस्तक भेंट’ ’ '
श्री संजय कोठारी, सचिव राष्ट्रपति व माननीय कुलपति तथा अन्य ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 14 अप्रैल , 2020 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की हस्तलिखित सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 07 अप्रैल , 2020 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की हस्तलिखित सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 31 मार्च , 2020 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की हस्तलिखित सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 24 मार्च , 2020 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की हस्तलिखित सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 17 मार्च , 2020 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की हस्तलिखित सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 10 मार्च , 2020 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की हस्तलिखित सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 03 मार्च , 2020 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की हस्तलिखित सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 25 फरवरी , 2020 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 18 फरवरी , 2020 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 11 फरवरी , 2020 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 04 फरवरी , 2020 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 28 जनवरी , 2020 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 21 जनवरी , 2020 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 14 जनवरी , 2020 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 07 जनवरी , 2020 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 31 दिसंबर , 2019 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 24 दिसंबर , 2019 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 17 दिसंबर , 2019 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 10 दिसंबर , 2019 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 03 दिसंबर , 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका ’ ’ '
संग्रहालय में उपलब्ध कल्पना पत्रिकाओं में भिन्न-भिन्न विधाओं में लेख प्रकाशित हुए जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 26 नवंबर , 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका ’ ’ '
संग्रहालयमें उपलब्ध कल्पना पत्रिकाओं में भिन्न-भिन्न विधाओं में लेख प्रकाशित हुए जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 19 नवंबर , 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका ’ ’ '
संग्रहालय में उपलब्ध कल्पना पत्रिकाओं में भिन्न-भिन्न विधाओं में लेख प्रकाशित हुए जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 12 नवंबर , 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका ’ ’ '
संग्रहालय में उपलब्ध कल्पना पत्रिकाओं में भिन्न-भिन्न विधाओं में लेख प्रकाशित हुए जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 05 नवंबर , 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका ’ ’ '
संग्रहालय में उपलब्ध कल्पना पत्रिकाओं में भिन्न-भिन्न विधाओं में लेख प्रकाशित हुए जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 29 अक्टूबर , 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका ’ ’ '
संग्रहालय में उपलब्ध कल्पना पत्रिकाओं में भिन्न-भिन्न विधाओं में लेख प्रकाशित हुए जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 22 अक्टूबर , 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका ’ ’ '
संग्रहालय में उपलब्ध कल्पना पत्रिकाओं में भिन्न-भिन्न विधाओं में लेख प्रकाशित हुए जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 15 अक्टूबर , 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका ’ ’ '
संग्रहालय में उपलब्ध कल्पना पत्रिकाओं में भिन्न-भिन्न विधाओं में लेख प्रकाशित हुए जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 08 अक्टूबर , 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका ’ ’ '
संग्रहालय में उपलब्ध कल्पना पत्रिकाओं में भिन्न-भिन्न विधाओं में लेख प्रकाशित हुए जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 01 अक्टूबर , 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका ’ ’ '
संग्रहालय में उपलब्ध कल्पना पत्रिकाओं में भिन्न-भिन्न विधाओं में लेख प्रकाशित हुए जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 24 सितंबर, 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका ’ ’ '
संग्रहालय में उपलब्ध कल्पना पत्रिकाओं में भिन्न-भिन्न विधाओं में लेख प्रकाशित हुए जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 17 सितंबर, 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका ’ ’ '
संग्रहालय में उपलब्ध कल्पना पत्रिकाओं में भिन्न-भिन्न विधाओं में लेख प्रकाशित हुए जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 10 सितंबर, 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका ’ ’ '
संग्रहालय में उपलब्ध कल्पना पत्रिकाओं में भिन्न-भिन्न विधाओं में लेख प्रकाशित हुए जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 03 सितंबर, 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका ’ ’ '
संग्रहालय में उपलब्ध कल्पना पत्रिकाओं में भिन्न-भिन्न विधाओं में लेख प्रकाशित हुए जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 27 अगस्त, 2019 ' ‘‘सरस्वती पत्रिका ’ ’ '
महादेवी प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 13 अगस्त, 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका’ ’ '
संग्रहालय में कल्पना पत्रिका में उपलब्ध साहित्य विषयक आलेखों की प्रकाशित सूची जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित प्रदर्शित किया जा रहा है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 06 अगस्त, 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका’ ’ '
संग्रहालय में कल्पना पत्रिका में उपलब्ध भाषा विषयक आलेखों की प्रकाशित सूची जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 30 जुलाई, 2019 ' ‘‘कल्पना पत्रिका’ ’ '
संग्रहालय में कल्पना पत्रिका में उपलब्ध संस्कृति विषयक आलेखों की प्रकाशित सूची जिनको वर्गीकृत प्रदर्शित किया जा रहा है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 23 जुलाई, 2019 ' ‘‘सरस्वती’ ’ '
महादेवी प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 16 जुलाई, 2019 ' ‘‘सरस्वती’ ’ '
बाबू श्यामसुंदर द्वारा संपादित सरस्वती पत्रिका में छपे आलेखों की सूची
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 09 जुलाई, 2019 ' ‘‘टुकड़े’ ’ '
श्रीपत राय व भैरव प्रसाद गुप्त द्वारा संपादित कहानी पत्रिका के नववर्षांक 1957 में प्रकाशित कृष्ण बलदेव वैद की कहानी टुकड़े साहित्यानुरागियों के लिए प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से
मंगलवार पोस्ट 11 जून, 2019
धरोहर के झरोखे से
मंगलवार पोस्ट 28 मई, 2019
धरोहर के झरोखे से
मंगलवार पोस्ट 21 मई, 2019
धरोहर के झरोखे से
मंगलवार पोस्ट 14 मई, 2019
मंगलवार पोस्ट 06 मई, 2019
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 11 दिसंबर, 2018 ' ‘‘मेरे नगर पर छाया हुआ है, यह कैसा मौसम’ ’ '
स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध सामग्री सेआचार्य भिक्खु मोग्गलायन के 'मेरे नगर पर छाया हुआ है, यह कैसा मौसम' कविता की हस्तलिखित पांडुलिपि इस सप्ताह मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 04 दिसंबर, 2018 ' ‘देवताओं का सम्मेलन’ '
स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध सामग्री सेअनुपम के ' देवताओं का सम्मेलन' की हस्तलिखित पांडुलिपि इस सप्ताह मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 27 नवंबर , 2018 ' ‘छीजते हुए क्षण’ '
स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध कुंतल गोयल की सामग्री से ' छीजते हुए क्षण' की पांडुलिपि इस मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 20 नवंबर , 2018 ' खरपत्तू '
स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्धज्ञानेन्द्र पति की सामग्री से'खरपत्तू' कविता की पांडुलिपि इस मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 31 जुलाई, 2018 ' हमारे सांस्कृतिक समन्वय का एक प्रतीक -रहीम '
स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध सामग्री से शमशेर बहादुर सिंह 'हमारे सांस्कृतिक समन्वय का एक प्रतीक -रहीम ' की हस्तलिखित पांडुलिपि इस सप्ताह मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 10 जुलाई , 2018 ' सिंहनाद '
स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध 'श्री रमेश दवे' की सामग्री से 'सिंहनाद' कविता की हस्तलिखित पांडुलिपि इस मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 15 मई , 2018 ' गवना ' कल्पना पत्रिका 285 में प्रकाशित 'अरुणेंद्र नाथ वर्मा' की कहानी 'गवना' जिसकी टंकित पांडुलिपि इस सप्ताह की प्रवृष्टि में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 24 अप्रैल , 2018 ''उपेक्षित मुद्दे '' कल्पना पत्रिका 283 में प्रकाशित 'अलका उपाध्याय' का आलेख 'उपेक्षित मुद्दे' जो इस सप्ताह की प्रवृष्टि में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 20 जून, 2017 ''हलयोग: मार्कण्डेय '' इस सप्ताह प्रसिद्ध कहानीकार मार्कण्डेय की कहानी '' हलयोग'' जो स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उनकी हस्तलिपि में उपलब्ध हैा जो कि इस मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित किया जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 6 जून, 2017 ब्रज- साहित्य का इतिहास : डॉ. सत्येन्द्र स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में सिद्धनाथ कुमार की पुस्तक समीक्षा '' ब्रज- साहित्य का इतिहास की पांडुलिपि इस मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 30 मई, 2017 किरण गान्धारी : कवि स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध मुनीन्द्र की पुस्तक समीक्षा '' किरण गान्धारी : कवि'' की पांडुलिपि इस मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 23 मई, 2017 अनुक्षण : प्रभाकर माचवे स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध भोलाशंकर व्यास की पुस्तक समीक्षा ''अनुक्षण: प्रभाकर माचवे'' की पांडुलिपि इस मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 16 मई, 2017 अंग्रेजी हटाओ : क्यों और कैसे ? स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध गणेश मंत्री की पुस्तक समीक्षा '' अंग्रेजी हटाओ : क्यों और कैसे'' की पांडुलिपि इस मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 9 मई, 2017 प्रौढ़ -शिक्षा जैसाकि विदित है, कल्पना पत्रिका में प्रकाशित धूमिल की कविता 'प्रौढ़ -शिक्षा' इस सप्ताह की प्रवृष्टि के रूप में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 25 अप्रैल , 2017 परिचर्चा के प्रश्न 4 के उत्तर में स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में शरद जोशी की उपलब्ध सामग्री में से परिचर्चा के प्रश्न 4 उत्तर में लेख उनकी हस्तलिखित में इस मंगलवार पोस्ट में रूप में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 11 अप्रैल , 2017 ‘‘मैं अकेली हूँ ’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में दयावन्ती की उपलब्ध सामग्री से ‘‘ मैं अकेली हूँ ’’ शीर्षक कहानी की पाण्डुलिपि इस मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 04 अप्रैल , 2017 ‘‘स्मृतियों के वातायन से ’’ सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय को स्मरण करते हुए स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय को हाल ही में श्री गिरिराज किशोर जी से प्राप्त स्वामी अखंडानन्द के आश्रम वृन्दावन में हुए लेखक शिविर का दुर्लभ चित्र तथा 1982 में अज्ञेय द्वारा आचार्य नरेन्द्र देव महिला महाविद्यालय कानुपर में दिए गए दीक्षांत भाषण की टंकित प्रति तथा अज्ञेय जी के कुछ पत्र प्रदर्शित किए जा रहे हैं-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 14 मार्च , 2017 ‘‘महाराष्ट्र का जनसाधारण हिंदी समर्थक है: प्रभाकर माचवे’’ ‘कल्पना’ पत्रिका में प्रभाकर माचवे ने प्रादेशिक साहित्य। पर एक श्रृंखला शुरू की थी। इसी की एक कड़ी में उन्होंने मराठी भाषा पर एक लेख लिखा था। माचवे जी मानते थे कि हमारे विश्व़विद्यालयों में साहित्य के सारे अध्ययन तब तक अधूरे माने जाना चाहिए, जब तक वह एक सीमावर्ती या अन्य प्रादेशिक भाषा का अध्ययन भी अनिवार्य न करें। उनका स्पाष्ट, मत था कि हिंदी भाषी और अहिंदी भाषी को परस्पर निकट लाने का एक ही मार्ग है कि किसी भी भाषा भाषियों को शीघ्रातिशीघ्र मातृभाषा के अतिरिक्त एक और प्रादेशिक भाषा सिखाई जाए। प्रभाकर माचवे की हस्ततलिपि में ‘कल्पना’ में प्रकाशित वही लेख यहाँ प्रस्तुत है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 15 नवंबर , 2016 ‘‘जुलूस’’ फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखित पुस्तक 'जुलूस' की समीक्षा कृष्णबलदेव वैद्य ने की है। जो कल्पना पत्रिका में सन् जुलाई 1966 में प्रकाशित हुई है। समीक्षा की पांडुलिपि अवलोकनार्थ प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 8 नवंबर , 2016 ‘‘जापान में आधुनिक कला ’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में दिनकर कौशिक की हस्तलिखित ''जापान में आधुनिक कला''पांडुलिपि की स्कैन प्रति, मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 1 नवंबर , 2016 ‘‘यम-1’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध जैनेन्द्र वात्स्यायन की हस्तलिखित ''यम-1'' की पांडुलिपि इस मंगलवार-पोस्ट के रूप में प्रदर्शित किया जा रहा है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 18 अक्टूबर, 2016 ‘‘सिकन्दरनामा :’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में कृष्ण बलदेव वैद द्वारा हस्तलिखित सिकन्दरनामा पांडुलिपि की प्रति इस मंगलवार प्रविष्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 04 अक्टूबर, 2016 ‘‘मानव भावना : यूरोपी भावना ’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में राम मनोहर लोहिया द्वारा हस्तलिखित मानव भावना : यूरोपी भावना की दुर्लभ पांडुलिपि की प्रति इस मंगलवार प्रविष्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 2 सितंबर, 2016 ‘‘मुंशी प्रेमचंद की हस्तलिखित दो पत्र ’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध मुंशी प्रेमचंद की हस्तलिखित दो पत्र जो इस मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 16 अगस्त, 2016 ‘‘सरस्वती पत्रिका ’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध सरस्वती पत्रिका की छायाप्रतियों में से (1900 वां भाग-1) की प्रति इस मंगलवार पोस्ट् में रूप में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 9 अगस्त, 2016 ‘‘बदलते मौसम की दो कविताएँ’’
इस सप्ताह विजय मोहन सिंह की संग्रहालय में उपलब्ध सामग्री में से उनकी हस्तलिखित कविताएँ प्रदर्शित की जा रही है। 1. शरद की शाम 2. वसंत
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 26 जुलाई, 2016 ‘‘भारत की पराजय क्यों हुई ?’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में गजानन माधव मुक्तिबोध की उपलब्ध सामग्री से भारत की पराजय क्यों हुई ? की हस्तलिखित पांडुलिपि इस मंगलवार पोस्ट में रूप में प्रदर्शित की जा रही है-
श्रद्धांजलि शायद बहुत कुछ चाहकर नहीं लिख पाया था। मुद्राराक्षस
उक्त पंक्तियाँ लक्ष्मीकांत वर्मा को संबोधित मुद्राराक्षस के पत्र की हैं, जिसमें मुद्रा जी ने 27.2.78 को लखनऊ से लिखा था। उक्त पत्र में मुद्रा जी ने अपनी परिस्थिति व विवशता का जिक्र किया है कैसे अकाशवाणी के दरवाजे उनके लिए बंद कर दिये गये थे। मुद्राराक्षस के दो पत्र संग्रहालय में उपलब्ध हैं जो लक्ष्मीकांत वर्मा को संबोधित है। पत्रों के अतिरिक्त उनकी '' लिली आईने में'' पांडुलिपियाँ भी संग्रहालय में मौजूद हैं। अत्यंत खेद का विषय है कि मुद्रा जी का देहावसान 13 जून 2016 को हो गया। विश्वविद्यालय परिवार उनके निधन से शोकग्रस्त है। तथा उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 14 जून , 2016 ‘‘भीष्म साहनी’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध भीष्म साहनी के पत्रों में से कुछ पत्र इस मंगलवार-पोस्ट के रूप में प्रदर्शित किया जा रहा है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 7 जून , 2016 ‘‘लोकतान्त्रिक समाजवाद में साहित्य की भूमिका’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध रमाकान्त पाठक की सामग्री में से ‘लोकतान्त्रिक समाजवाद में साहित्य् की भूमिका’ पर लेख इस मंगलवार-पोस्ट के रूप में प्रदर्शित किया जा रहा है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 31 मई , 2016 ‘‘आजादी ध्येय हमारा है’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध कुमारी पुष्पा सक्सेना की सामग्री में से आजादी ध्येय हमारा है एक कविता मंगलवार-पोस्ट के रूप में प्रदर्शित किया जा रहा है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 18 मई 2016 ‘‘रामनन्दन मिश्र’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में रामनन्दन मिश्र की उपलब्ध सामग्री में से मानव-जाति-किधर? नामक कहानी इस मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित किया जा रहा है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 10 मई , 2016 ‘‘अश्क के पत्र संग्रहालय में’’ उपेन्द्र नाथ अश्क के बहुत सारे पत्र संग्रहालय को प्राप्त हुए हैं जिनमें अधिकांशत: मधुरेश को संबोधित हैं। उनमें से कुछ पत्र साहित्य प्रेमियों के लिए प्रदर्शित किया जा रहा है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 3 मई , 2016 ‘‘आग’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में दामोदर सदन की उपलब्ध सामग्री इस मंगलवार पोस्ट में रूप में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 26 अप्रैल, 2016 ‘‘दो कविताएँ’’ स्वामी सहजानंद सरस्वरती संग्रहालय में सावित्री परमार की उपलब्ध सामग्री में उनकी दो कविताएँ इस मंगलवार पोस्ट में रूप में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 1 मार्च, 2016 ‘‘साहित्य धारा’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध ओमप्रकाश दीपक की सामग्री में से उनकी हस्तलिपि में लिखित कहानी साहित्य धारा जो कि इस इस मंगलवार पोस्टि में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 19 जनवरी, 2016 ‘‘दो नज़्में’’ धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 2 फरवरी, 2016 ‘‘पांच कविताएँ’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में रचना की (हस्त -लिखित) पांडुलिपियों में से पांच कविताएँ इस सप्ताह मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है-
स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में मुसहफ़ इक़बाल तौसिफ़ी की (हस्ती-लिखित) पांडुलिपि दो नज़्में इस सप्ताह मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 12 जनवरी, 2016 ‘‘चार कविताएँ’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में हरि नारायण व्यास की उपलब्ध सामग्री से चार कविताएँ इस मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 5 जनवरी, 2016 ‘‘अन्तत:’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में मणि मधुकर की उपलब्ध सामग्री से अन्तत: नामक कविता हस्तलिखित पांडुलिपि इस मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट, 29 दिसंबर, 2015 ‘‘नयी कहानी : प्रयोग की सार्थकता’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध परमानंद श्रीवास्तव की सामग्री में से नयी कहानी: प्रयोग की सार्थकता की हस्तलिखित पांडुलिपि इस मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट, 15 दिसंबर, 2015 ‘‘राँची के लालजी’’ विष्णुप्रभाकर की उपलब्ध सामग्री में से ‘‘राँची के लालजी’’ नामक कहानी इस मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट , 8 दिसंबर, 2015 ‘‘डॉ. विद्याबिंदु सिंह को संबोधित पत्र’’ डॉ. विद्याबिंदु सिंह को संबोधित निम्नांकित साहित्यकारों के पत्र प्रदर्शित किए जा रहे हैं।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 1 दिसंबर, 2015 ‘‘विद्या विन्दू सिंह से प्राप्त पत्रों की सूची’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय को प्राप्त विद्या बिन्दूा सिंह की सामग्री की सूची इस मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 17 नवंबर, 2015 ‘‘परिचर्चा के प्रश्न ४ के उत्तर में’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में शरद जोशी की उपलब्ध सामग्री में से ‘‘परिचर्चा के प्रश्न के 4 उत्तर में’’ लेख उनकी हस्तलिखित में इस मंगलवार पोस्ट में रूप में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 3 नवंबर, 2015 ‘‘नयी कहानी : प्रयोग की सार्थकता’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध परमानन्द श्रीवास्तव की सामग्री में से उनकी हस्तलिपि में लिखित कहानी ‘‘गिरिफ़्तारी’’ जो कि इस इस मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 27 अक्टूबर, 2015 ‘‘गिरिफ़्तारी’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध श्रीलाल शुक्ल की सामग्री में से उनकी हस्तलिपि में लिखित कहानी ‘‘गिरिफ़्तारी’’ जो कि इस इस मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 20 अक्टूबर, 2015 ‘‘प्रकाश की एक किरण ’’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में सत्यवती मलिक की उपलब्ध सामग्री में से ‘‘प्रकाश की एक किरण’’ नामक कहानी की पांडुलिपि इस मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 13 अक्टूबर, 2015 ‘‘तीन कविताएँ ’’
कल्पना 171 में प्रकाशित गंगाप्रसाद विमल की तीन कविताएँ इस इस मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 6 अक्टूबर, 2015 ‘‘कलाकार बतौर प्रवासी ’’ कल्पना पत्रिका में प्रकाशितकृष्णबलदेव वैद्य की पांडुलिपि कलाकार बतौर प्रवासी नामक कहानी इस सप्ताह मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट, दिनांक: 22.9.2015 ‘‘महाराष्ट्र का जनसाधारण हिंदी समर्थक है: प्रभाकर माचवे ’’
‘कल्पना’ पत्रिका में प्रभाकर माचवे ने प्रादेशिक साहित्य पर एक श्रृंखला शुरू की थी। इसी की एक कड़ी में उन्होंने मराठी
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 8 सितंबर, 2015 ‘‘साहित्य पर विज्ञान का प्रभाव ’’
कल्पना पत्रिका में प्रकाशित‘रामधारी सिंह दिनकर’ की पांडुलिपि ‘‘साहित्य पर विज्ञान का प्रभाव ’’नामक कहानी इस सप्ताह मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 1 सितंबर, 2015 ‘पाँच कविताएँ ’
कलपना 176 में प्रकाशित‘तारा दत्त निर्विरोध’ की ‘‘पाँच कविताएँ ’’इस मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है- 1. दर्द मेरा बोलता है 2. खिड़कियाँ खोलो नहीं 3. शून्यता का दर्द 4. एकात्म-बोध 5. उजाले के पाँव
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 25 अगस्त, 2015 ‘तथाकथित साठोत्री पीढ़ी : और विसंगतियों का संदर्भ ’
स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में‘लक्ष्मीकांत वर्मा’ की (हस्त-लिखित) उपलब्ध सामग्री में से ‘‘तथाकथित साठोत्री पीढ़ी : और विसंगतियों का संदर्भ’’ नामक कहानी की पांडुलिपि इस सप्ताह मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित की जा रही है
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 18 अगस्त, 2015 ‘नये कवि का अकेलापन’
कल्पना पत्रिका में प्रकाशित ‘डॉ. शीतला सिंह’ के लेख की पांडुलिपि स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध ‘‘नये कवि का अकेलापन’’ इस मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 11 अगस्त, 2015 ‘तीन कविताएँ’
स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में‘दिविक रमेश’ की उपलब्ध सामग्री में से तीन कविताएँ इस इस मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 4 अगस्त, 2015 ‘दो कविताएँ’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में ‘सावित्री परमार’ की उपलब्ध सामग्री में उनकी दो कविताएँ इस मंगलवार पोस्ट में रूप में प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 28 जुलाई, 2015 ‘राँची के लाल जी’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में ‘विष्णु प्रभाकर ’ की उपलब्ध सामग्री में से ‘राँची के लाल जी’ नामक कहानी की पांडुलिपि इस सप्ताह की प्रवृष्टि में प्रदर्शित की जा रही है
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 21 जुलाई, 2015 ‘श्रम’ स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय को ‘साहित्यिक धरोहर संरक्षण’ के आयोजन के अंतर्गत 15 अगस्त 2013 को ‘भैरव प्रसाद गुप्त’ की साम्रग्री प्राप्त हुई जिसमें से ‘श्रम’ नामक कहानी प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट, 14 जुलाई 2015 ''रचनाकार बनाम सामाजिक उत्तरदायित्व’’ लगभग पाँच दशक पहले त्रिलोचन ने लिखा था, ''हिंदी का रचनाकार इतने-इतने बंधनों में जकड़ा हुआ है कि हम निर्बंध रचना की उम्मीद कर भी नहीं सकते। बंधनों के बाद रचना की बिक्री का क्षेत्र भी विचारणीय है। आज शक्तिशाली ग्राहक सरकार। सरकारी आलोचना का मतलब सरकारी ग्राहकता की समाप्ति है। यही नहीं, इसके बाद भी एक चीज समाप्त होती है जिसे सरकारी पुरुस्कार कहते हैं।'' ''रचनाकार बनाम सामाजिक उत्तरदायित्व’’ का आलेख शीर्षक से लिखा त्रिलोचन का यह लेख उनकी हस्तलिपि में यहाँ प्रस्तुत है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 23 जून, 2015 ‘यह बेचारी हिन्दी’ कल्पना पत्रिका 149 में प्रकाशित ‘कात्यायन’ का आलेख ‘यह बेचारी हिन्दी’ जो इस सप्ताह की प्रवृष्टि में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 16 जनू, 2015 ‘स्वाधीन कवि’ कल्पना पत्रिका में प्रकाशित रघुवीर सहाय का लेख ‘‘स्वाधीन कवि’’ जो कि इस मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 26 मई, 2015 ‘अमृता भारती’ कल्पना पत्रिका 1956 में प्रकाशित अमृता भारती की कविता इस मंगलवार की पोस्ट में सुधीजनों को प्रदर्शित की जा रही है।
धरोहर के झरोखे से दिनांक: 19.5.2015 ‘डॉ. गिरिराज किशोर’ लोकचर्चित उपन्यास ‘‘पहला गिरमिटिया’’ के लेखक डॉ. गिरिराज किशोर ने अपनी अधोलिखित पांडुलिपियां स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय को भेंट कीं- 1. यात्रायें 2. राहुल-जननी 3. तीसरी सत्ता 4. ढाई घर 5. इंद्र सुने आदि। साथ ही उन्होंने अपने द्वारा संपादित पत्रिका अकार तथा बहुत सी पुस्तकें संग्रहालय को प्रदान कीं। जिनकी सूची शीघ्र ही अध्येताओं के लिए प्रदर्शित की जायेगी। इस मंगलवार पोस्ट में गिरिराज किशोर की पांडुलिपि प्रदर्शित की जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 12 मई, 2015 ‘भविष्य निर्माण का कारख़ाना’ कल्पना पत्रिका में प्रकाशित श्रीलाल शक्ल की कहानी ‘भविष्य निर्माण का कारख़ाना ’ जो कि इस मंगलवार पोस्ट में प्रदर्शित की जा रही है
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 28 अप्रैल, 2015 ‘चारुचंद्र लेख’ कल्पना पत्रिका 132 में प्रकाशित प्रसिद्ध कहानीकारहजारी प्रसाद द्विवेदी का आलेख ‘चारुचंद्र लेख’ इस सप्ताह की प्रवृष्टि के रूप में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 24 मार्च, 2015 युद्ध किसलिए और किस उद्देश्य से -- रघुवीर सहाय अगस्त 1965 यानी भारत की आजादी का अट्ठारहवां वर्ष। कल्पना पत्रिका के इसी अगस्त 1965 वाले अंक में रघुवीर सहाय ने अपने स्तंभ में लिखा था कि ‘‘पिछले 18 सालों में आर्थिक और सामाजिक रास्तों से हमने अपने करोड़ों कमजोर देशवासियों को और नहीं तो दोनों वक्त भरपेट खाने का ही साधन दे दिया होता, अगर हमें धर्म के नाम पर अलगाव करने वाली शक्तियों से अंदर और बाहर दोनों जगह बराबर उलझना न पड़ा होता।’’ ‘‘आजादी की दूसरी लड़ाई’’ शीर्षक से रघुवीर सहाय के प्रकाशित इस स्तंभ का दौर उस समय के भारत के लिए आक्रमण होने पर लड़ाई का दौर था। उसी दौर पर रघुवीर सहाय लिखते हैं कि – ‘‘एक चीज सवालों से परे है- युद्ध इस समय अनिवार्य ही नहीं, आवश्यक है। फिर एक और चीज़ सवालों के जरिए निरंतर स्पष्ट होती रहनी चाहिए- युद्ध किसलिए और किस अंतिम उद्देश्य से।’’ रघुवीर सहाय का यही स्तंभ उनकी हस्तलिपि में यहां प्रस्तुत है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 10 मार्च, 2015 ‘‘रूपाभ’’युग का प्रतिनिधि मासिक पत्र सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध ‘‘रूपाभ युग का प्रतिनिधि मासिक पत्र’’ कालाकांकर से प्रकाशित है जिसके संपादक सुमित्रानंदन पंतहैं। जिसे इस सप्ताह की प्रविष्ट में जारी की जा रही है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 3 मार्च, 2015 ‘’सरस्वती पत्रिका सूची ’’ इस सप्ताह सुधीजनों के लिए स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध ‘सरस्वती पत्रिका ’ के कुछ अंको की सूची जारी की जा रही है। धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 24 फरवरी, 2015 ‘’विदेशी सहायता और उसका देश पर प्रभाव’’ प्रसिद्ध लेखक लक्ष्मीकांत वर्मा की कल्पना में प्रकाशित ‘विदेशी सहायता और उसका देश पर प्रभाव’ इस सप्ताह प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 17 फरवरी, 2015 ‘’गठरी’’ जैसाकि विदित है कल्पना पत्रिका 184 में प्रकाशित इक़बाल मतीन का आलेख ‘गठरी’ इस सप्ताह की प्रवृष्टि के रूप में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 11 फरवरी, 2015 ‘’प्रेम-पथिक बाबू शम्भूरत्न जी’’
मंगलवार प्रविष्टि में जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘प्रेम-पथिक बाबू शम्भूरत्न जी’ स्मृति में (1914) प्रकशित पुस्तक जिसका प्रथम संस्करण संग्रहालय में उपलब्ध है जिसे प्रदर्शित किया जा रहा है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 3 फरवरी, 2015 ‘’दो कविताएँ’’ मंगलवार पोस्ट में सावित्री परमार की कविता ‘दो कविताएँ’ इस सप्ताह की प्रवृष्टि के रूप में प्रदर्शित की जा रही है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 27 जनवरी, 2015 ‘’चीन से दो बातें : कुछ मुक्तक ’’ मंगलवार पोस्ट में श्री स्वयं प्रकाश उपाध्याय की कविता के अंतर्गत ‘चीन से दो बातें बातें : कुछ मुक्तक’इस सप्ताह की प्रवृष्टि के रूप में प्रदर्शित की जा रही है।
मंगलवार पोस्ट 20 जनवरी, 2015 ‘’साहित्यिक धरोहरण संरक्षण’’ इस सप्ताह मंगलवार पोस्ट में ‘’साहित्यिक धरोहरण संरक्षण’’के अंतर्गत 'मध्य प्रदेश हिंदी प्रचार समितिद्वारा संग्रहालय को भेंट की गयी पत्रिकाओं में से कुछ पत्रिकाओं के मुखपृष्ठ तथा उनकी विषय सूची प्रदर्शित की जा रही है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 13 जनवरी, 2015 ‘मुहब्बत से खिलाइए’ प्रसिद्ध कहानीकार ममता कालिया का आलेख '‘मुहब्बत से खिलाइए’'इस सप्ताह की प्रवृष्टि के रूप में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 30 दिसंबर, 2014 यह बेचारी हिन्दी जैसाकि विदित है कल्पना पत्रिका 149 में प्रकाशित ‘कात्यायन’ का आलेख '‘यह बेचारी हिन्दी’'इस सप्ताह की प्रवृष्टि के रूप में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 23 दिसंबर, 2014 जैसाकि विदित है कल्पना पत्रिका में प्रकाशित धूमिल की कविता 'प्रौढ़ -शिक्षा' इस सप्ताह की प्रवृष्टि के रूप में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 16 दिसंबर, 2014 भाषा का प्रश्न और कुछ बुद्धिजीवियों का रुख : एक सर्वेक्षण जैसाकि विदित है कल्पना पत्रिका में प्रकाशित धर्मवीर भारती का आलेख ' भाषा का प्रश्न और कुछ बुद्धिजीवियों का रुख : एक सर्वेक्षण' इस सप्ताह की प्रवृष्टि के रूप में प्रदर्शित की जा रही है -
धरोहर के झरोखे से 9 दिसंबर मंगलवार पोस्ट '' साहित्यिक धरोहरण संरक्षण'' इस सप्ताह मंगलवार पोस्ट में ''साहित्यिक धरोहरण संरक्षण'' के अंतर्गत विश्वविद्यालय के बहुवचन पत्रिका के संपादक अशोक मिश्र द्वारा संग्रहालय को भेंट की गयी पत्रिकाओं की सूची तथा कुछ पत्रिकाओं के मुखपृष्ठ प्रदर्शित किये जा रहे हैं।
धरोहर के झरोखे से 2 दिसंबर, 2014 मंगलवार पोस्ट धरोहर संरक्षण मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, भोपाल से संग्रहालय के लिए पत्रिकाएं, पुस्तकें तथा साहित्यकारों के साक्षात्कार की सी.डी. प्राप्त हुई हैं। जिसकी सूची अवलोकनार्थ प्रस्तुत है तथा कुछ पत्रिकाओं के मुखपृष्ठ भी प्रदर्शित किये जा रहे हैं।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 25 नवंबर, 2014 सुबह होने तक इस सप्ताह कल्पना मई 1969 में प्रकाशित प्रसिद्ध कहानीकार मधुकर गंगाधर की कहानी ''सुबह होने तक'' प्रदर्शित किया जा रहा है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 21 सितंबर, 2014 कुहरे में ढँका हुआ मानवेतिहास मुक्तिबोध का आलेख 'कुहरे में ढँका हुआ मानवेतिहास' इस सप्ताह की प्रवृष्टि के रूप में प्रदर्शित की जा रही है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 14 अक्टू्बर, 2014 दुक्खम् शरणम् गच्छामि धीरेन्द्र अस्थाना की कहानी 'दुक्खम् शरणम् गच्छामि' इस सप्ताह की प्रवृष्टि के रूप में प्रदर्शित की जा रही है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 07 अक्टू्बर, 2014 झीनी-झीनी बुनी गई जीवन की आत्म-कथा खगेंद्र ठाकुर की कहानी 'झीनी-झीनी बुनी गई जीवन की आत्म-कथा' इस सप्ताह की प्रवृष्टि के रूप में प्रदर्शित की जा रही है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 30 सितंबर, 2014
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 23 सितंबर, 2014
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 16 सितंबर, 2014 जम्मू से कश्मीर तक डोंगरी की प्रसिद्व कवियत्री पद्मासचदेव की हस्तलिपि में 'जम्मू से कश्मीर तक' इस सप्ताह की प्रवृष्टि के रूप में प्रदर्शित की जा रही है। शेष अगले दो मंगलवार पोस्ट के रूप में प्रदर्शित की जायेगी।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 9 सितंबर, 2014 इस सप्ताह दिविक रमेश द्वारा प्राप्त पाण्डुलिपियों से कुछ पाण्डुलिपियाँ अवलोकनार्थ प्रदर्शित की जा रही है- राह पर
बीच राह का प्रश्न
गलत समय की हार
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 2 सितंबर, 2014 शमशेर बहादुर सिंह की पेंटिंग्स इस सप्ताह शमशेर बहादुर द्वारा बनायी गयी बहुत सारी पेंटिंग संग्रहालय को प्रो. रंजना अरगड़े द्वारा प्राप्त हुई हैं। जिनमें से कुछ पेंटिंग्स अवलोकनार्थ पदर्शित की जा रही है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 26 अगस्त, 2014 ''हलयोग'' मार्कण्डेय इस सप्ताह प्रसिद्ध कहानीकार मार्कण्डेय की कहानी ''हलयोग'' जो स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उनकी हस्तलिपि में उपलब्ध है उसे पुन: प्रदर्शित किया जा रही है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 19 अगस्त, 2014 धूप का टुकड़ा राहीमासूम रज़ा स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध सामग्री में से राहीमासूम रज़ा की पाण्डुलिपि "धूप का टुकड़ा" अवलोकनार्थ प्रदर्शित की जा रही है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 15 जुलाई, 2014 ''हल्दी घाटी की रचना एक नाटक से प्रेरित होकर की गई'' श्यामनारायण पाण्डेय उपर्युक्त पंक्ति प्रसिद्ध कवि श्यामनारायण पाण्डेय की है। डॉ. क़पाशंकर चौबे को दिनांक 19.8.88 को संबोधित पत्र में यह बात लिखी है। डॉ. चौबे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कलकत्ता केंद्र के प्रभारी हैं, उन्होंने प्रसिद्ध रचनाकारों, साहित्यकारों के पत्र स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र को भेंट की। एक समारोह में श्यामनारायण पाण्डेय के पत्र
आजकल सकारात्मक आस्था के दर्शन नहीं होते कमलेश्वर डॉ. कृपाशंकर चौबे की पुस्तक 'मदर टेरेसा' के बारे में लिखते समय कमलेश्वर ने दिनांक 5.11.1997 को लिखे पत्र में यह बात लिखी है - ''मदर टेरेसा'' वाली आपकी पुस्तक में मदर की आत्मा का समावेश है आपने जितने श्रम और लगन से यह पुस्तक प्रस्तुत की है वह अनुमेय है आजकल सकारात्मक आस्था के दर्शन नहीं होते, पर आपने 'मदर टेरेसा' के जीवन का ही नहीं उनकी भारतीय आत्मा का सहज दर्शन भी दिया है और उनकी जीवन - करुणा को शब्द भी... चंद्रशेखर जी ने तो अटल बिहारी वाजपेयी को आड़े हाथों लिया कमलेश्वर 18.4.2 के पत्र में कमलेश्वर ने यह बात लिखी है। पत्र चौबे को संबोधित है इस समय देश बहुत बेचैन है कमलेश्वर 10.05.2 के पत्र में कमलेश्वर ने यह पीड़ा व्यक्त की है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 8 जुलाई, 2014 तिरिछ
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 17 जून, 2014 उस रात की गंध धीरेन्द्र अस्थाना की कहानी 'उस रात की गंध' इस सप्ताह की प्रवृष्टि के रूप में प्रदर्शित की जा रही है। धीरेन्द्र अस्थाना ने अपनी तीन कृतियाँ संग्रहालय को सौंपी है। साथ में तीन छायाचित्र भी अवलोकनार्थ प्रदर्शित किया जा रहा है, ये छायाचित्र क्रमश: नागार्जुन, नामवर सिंह राजेंद्र यादव और लक्ष्मीधर मालवीय के हैं जिनके साथ धीरेंद्र अस्थाना भी मौजूद हैं।
1. नागार्जन धीरेंद्र अस्थाना 2. नामवर सिंह धीरेंद्र अस्थाना 3.लक्ष्मीधर मालवीय, धीरेंद्र अस्थाना, राजेंद्र यादव धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 10 जून, 2014 शेखर जोशी द्वारा रचित 'न रोको उन्हें, शुभा' काव्य संग्रह संग्रहालय को प्राप्त हुई है। इलाहाबाद केंद्र के पो. संतोष भदौरिया ने उक्त कृति शेखर जोशी से प्राप्त कर एक कार्यक्रम के दौरान कुलपति को भेंट की थी। उस कृति में वीरेन डंगवाल की टिप्पणी भी है। टिप्पणी सहित काव्य संग्रह के कुछ अंश प्रदर्शित किये जा रहे हैं-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 03 जून, 2014 कामायनी की हस्तलिखित प्रकाशित मूलप्रति संग्रहालय में जयशंकर प्रसाद कृत कामायनी की मूल पांडुलिपि की प्रतिकृति संग्रहालय को डॉ. अनवर अहमद सिद्दिकी द्वारा प्राप्त हुई है। इसका प्रकाशन भारती भंडार इलाहाबाद से हुआ था। इसका एक अंश प्रदर्शित किया जा रहा है-
मधुशाला डॉ. हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित अत्यंत लोकप्रिय पुस्तक 'मधुशाला' की एक प्रति प्रो. रामनिरंजन परिमलेंदु से स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय को प्राप्त हुई है। इस पुस्तक को बच्चन जी ने प्रो. परिमलेंदु को सन् 1962 में भेंट की थी। इसका मूल्य 1 रुपये है। प्रकाशन हिंदी पाकेट बुक प्रा. लिमिटेड दिल्ली से हुआ है यह पुस्तक पॉकेट बुक के आकार की है। 'मधुशाला' सर्वप्रथम 1935 में प्रकाशित हुई थी और तब से इस पुस्तक के प्रकाशित होने तक 15 संस्करण निकल चुके थे। हिंद पॉकेट बुक के 100वें पुस्तक के रूप में इसका प्रकाशन हुआ है-
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 06 मई, 2014 स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में उपलब्ध सामग्री में से कुछ सामग्री अवलोकनार्थ प्रदर्शित की जा रही है जो निम्नवत है - 1. महाकवि भूषण की पुण्यस्मृति में 'भूषण' शीर्षक से सचित्र मासिक पत्रिका सन् 1934 में प्रकाशित हुआ हैं। उसके सम्पादक भारत भूषण हैं 40 पृष्ठों की यह पत्रिका हस्तलिखित है।
2. 'मौत की मंजिल' शीर्षक से लिखित इस कविता के रचयिता उदयशंकर भट्ट हैं। 3. ''ऐन्द्रिक और बौद्धिक नाट्यशाला प्राच्य'' शीर्षक से उक्त यह आलेख श्रीकृष्णदास संग्रह से है। जो इस संग्रहालय को इलाहाबाद से प्राप्त हुआ है। संग्रहालय में भैरव प्रसाद गुप्त साहित्यिक धरोहर संरक्षण (15.8.2013) के अवसर पर कई मूर्धन्य रचनाकारों की पाण्डुलिपियां स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय को प्राप्त हुई हैं। उन रचनाकारों में से भैरव प्रसाद गुप्त भी है। श्री गुप्त जी ने भिन्न-भिन्न विधाओं पर अपनी लेखनी चलाते हुए हिंदी साहित्य का समृद्ध किया है। इस मंगलवार पोस्ट के अतंर्गत हम उनकी विविध कृतियों को सुधीजनों हेतु प्रस्तुत कर रहे हैं। जो इस प्रकार से है- 1. आँख की पट्टी (कहानी)
2. एशियाई लेखक सम्मेलन (लेख)
3. डोरियन का चित्र (नाटक)
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट, 22 अप्रैल,2014 ''नागार्जुन का कवि कर्म'' संग्रहालय की वेबसाइट पर मंगलवार पोस्ट के अन्तर्गत खगेंद्र ठाकुर द्वारा नागार्जुन पर तैयार की गई ''नागार्जुन का कवि कर्म'' नामक पूरी पुस्तक की पाण्डुलिपि स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय को आदरणीय खगेंद्र ठाकुर ने भेट कर दी है। उक्त पुस्तक की पाण्डुलिपि में से ''कवि-व्यक्तित्व और कृतित्व'' नामक आलेख प्रदर्शित किया जा रहा है। मैं अपने संग्रहालय व विश्वविद्यालय की ओर से उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ और उन्हें आश्वस्त करता हूँ कि उनके द्वारा सौंपी गई यह कृति सुरक्षित रूप से रखी गई है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 15 अप्रैल, 2014 शमशेर बहादुर सिंह की प्राप्त पांडुलिपियों में से 10 कविताएं संग्रहालय की वेबसाइट पर अवलोकनार्थ डाली जा रही हैं। ये कविताएं 1933, 1940, 1942, 43, 44, 47, तथा 1967 की हैं। ये सभी कविताएं शमशेर जी की हस्तलिपि में हैं। शमशेर जी ने जगह-जगह पर काट-पीट भी की है। मूल रूप में प्रदर्शित की जा रही है। विदित ही है कि शमशेर बहादुर सिंह की समस्त सामग्री प्रो. रंजना अरगड़े ने स्वामी सहजानंद संग्रहालय को सौंप दी है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 8 अप्रैल, 2014 'फेरे' 'फेरे' प्रसिद्ध कवि ऋतुराज की रचना है। इस उक्त कविता संग्रह की रचनाएँ महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में रहते हुए रची गई हैं। ऋतुराज जी इस विश्वविद्यालय में आवसीय लेखक के रुप में साल भर रहे। इस दौरान इन्होंने परिसर के पक्षियों का अध्ययन किया उनके चित्र खींचे, उनसे दोस्ती की, उनकी हँसी, उनकी काकली का आनंद लिया, आसपास के क्षेत्रों में घुमक्कड़ी की और जीभर कविताएँ रचीं। उनकी यहीं रची गई कुछ रचनाएँ इस बार पाठकों के लिए सुलभ की जा रही हैं। हम बता दें कि चलते समय ऋतुराज जी 'फेरे' की पाण्डुलिपि संग्रहालय को भेंट कर गए हैं। आप कभी आएँ और उनकी कविताएँ उन्हीं के हस्तलिपि में पढ़ने का सुख उठाएँ।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 1 अप्रैल, 2014 इस मंगलवार प्रविष्टि में भिन्न - भिन्न रचनाकारों की एक रचनाएं अवलोकनार्थ डाली जा रही है। मुक्तिबोध, विपिन कुमार अग्रवाल, भवानी प्रसाद मिश्र, तथा गिरिजा कुमार माथुर आदि रचनाकारों की हस्तलिपि में उपलब्ध ये रचनाएं संग्रहालय में मौजूद हैं। विपिन कुमार अग्रवाल की कविता '' हमारा देश'' कल्पना में प्रकाशित हुई हैं। रामदरश मिश्र ''ग्रीष्म दुपहरी'' कल्पना में प्रकाशित हुई हैं।
गिरिजा कुमार माथुर ''काल दृष्टि'' कल्पना में प्रकाशित हुई हैं।
भवानी प्रसाद मिश्र ''देखना चाहता हूँ'' कल्पना में प्रकाशित हुई हैं।
मुक्तिबोध की रचना उनके पुत्रों द्वारा स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय को भेंट की गई है।
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट दिनांक 25 मार्च 2014 रक्षित कविता समूची संस्कृति की रक्षा करती है--- रामस्वरूप चतुर्वेदी हिंदी आलोचना की बीसवीं सदी को जिन लेखकों ने सवारा उनमें रामस्वरूप चतुर्वेदी का नाम आदर और श्रद्धा के साथ लिया जाता है। वे भारतीय साहित्य के ऐसे विचारक थे, जिन्होंने बहुत गहरी और व्यापक इतिहास दृष्टि विकसित की थी। कविता के संबंध में उनकी समझ संस्कृति को केंद्र में रखती थी। वे मानते थे कि मनुष्य और संस्कृति के प्रश्न ही कविता के भी मूल प्रश्न हैं। इस अर्थ में कविता उन सभी पक्षों के साथ संवाद करती है, जिनका संबंध सबसे पहले संस्कृति और उसके द्वारा निर्मित मनुष्य से है। उसके बाद सभ्यता के सवालों और संसार के व्यवहारगत अन्तर्विरोधों को उजागर करने से है। रामस्वरूप चतुर्वेदी ने हमारे भौतिक जगत में उत्पन्न प्रदूषण के साथ-साथ संस्कृति के क्षेत्र में धीरे-धीरे बढ़ते हुए प्रदूषण को भी अपने चिंतन का विषय बनाया है। ये दोनों उनके लिए जीवन के दो अनिवार्य पक्षों जैसा महत्व रखते हैं। इसीलिए वे इनके बीच कोई बहुत बड़ा अलगाव नहीं मानते, बल्कि एक को दूसरे से जोड़कर किसी निष्कर्ष पर पहुँचते हैं। प्रकृति से खिलवाड़ करके मनुष्य ने जिस प्रकार अपनी संस्कृति का विनाश किया है, उससे हमें कविता ही बचा सकती है। रामस्वरूप चतुर्वेदी जी एक बहुत महत्वपूर्ण बात यह कहते हैं कि कविता ने हमेशा से प्रकृति का पक्ष लिया है। अब तक जितनी कविता रची गयी है, वह प्रकृति से अपना रिश्ता बनाकर चली है। अपने मत के समर्थन में रामस्वरूप चतुर्वेदी ने कामायनी का सहारा लिया है। इस महाकाव्यात्मक गरिमा की साधना वाली रचना में श्रद्धा कहती हैं- 'एक तुम' यह विस्तृत भूखण्ड प्रकृति वैभव से भरा अमंद कर्म का भोग, भोग का कर्म, यही जड़ का चेतन आनंद। चतुर्वेदी जी, श्रद्धा की इस उक्ति को कविता प्रकृति और संस्कृति के संबंधों की व्याख्या का उपजीव्य बनाते हैं। वे बताते हैं कि जब भी मनुष्य इस संबंध की उपेक्षा करता है, तभी वह प्रदूषण का शिकार होता है और विनाश की दिशा में बढ़ता है। आज जब हम संचार क्रांति और भूमण्डलीकरण के दौर से गुजर रहे हैं, तो नए सिरे से प्रदूषण तथा सांस्कृतिक दासता के शिकार हो रहे हैं। इस बिन्दु पर रामस्वरूप चतुर्वेदी कविता को प्रकृति के साथ-साथ यंत्र के सानुपातिक संबंध के दायरे में रखकर भी देखते हैं। इस आधार पर वे कविता को अधुनातन चिंतन के केंद्र में भी स्थापित करते हैं। स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय में रामस्वरूप चतुर्वेदी की हस्तलिखित सामग्री के अंश सुरक्षित हैं। उनकी पांडुलिपियों में से एक का शीर्षक है, प्रदूषण के युग में कविता। इस बार पाठक इस सामग्री का आनंद ले सकते हैं:
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 18 मार्च 2014 अन्तर्विरोधों का वर्तमान और बन्द तहखाने का विद्रोह --- मंगलेश डबराल कल्पना पत्रिका ने भिन्न -भिन्न विषयों को लेकर 'परिचर्चा' का चलन शुरू किया था। एक समय दिनकर की कृति 'उर्वशी' पर विवाद उठा था, इस पर परिचर्चा हुई और प्रकाशित भी हुई। परिचर्चाओं का यह क्रम कल्पकना में दीर्घकाल तक चला। इसकी काफी बाद की कड़ी में ''अन्तर्विरोधों का वर्तमान और बन्द तहखाने का विद्रोह'' शीर्षक परिचर्चा में आज के महत्वपूर्ण हिंदी कवि मंगलेश डबराल के विचार प्रकाशित हुए थे। समकालीन चेतना के कवि डबराल ने लेखक की भीतरी सच्चाई का बयान करते हुए कहा था कि-- ''लेखन व्यर्थ हो या अर्थपूर्ण, लेकिन आज का रचनाकार व्यर्थताएं जरूर जी रहा है। 'अतीत से करने' और भविष्य के नाम पर 'मेरे कंठ के संकरे अंधेरे में झूठे भविष्य का कफ घरघराता है,- जैसी अनुभूति वाला रचनाकार आज वर्तमान के विद्रूप और वीभत्स चेहरे को नकार रहा है। और काल के तीनों आयामों से अलग होकर हमारी कोई तस्वीर अपनी नहीं रह गई है। पूरे दबाव और तनाव के साथ 'जिन्दगी घास का गट्ठर हो गयी है,- एक सीलन और फफूँद लगा गट्ठर, और समय का सिलसिला समाप्त होने के बाद तक हमें 'यह बन्द तहखाना अपनी देह पर झेलना होगा''। मंगलेश डबराल की हस्तलिपि में उनके विचार पढ़ें:
मंगलवार पोस्ट 11 मार्च 2014 जिन्दगी जीने का मुझे ज्यादा मोह नहीं ----- शैलेश मटियानी इस मंगलवार पोस्ट में शैलेश मटियानी की आत्मकथा ''प्रतिकूल उपलब्धियों के भोजपत्र'' प्रदर्शित की जा रही है। प्रस्तुत आत्मकथा कल्पना पत्रिका में जनवरी 1965 में प्रकाशित हुई थी। इसे पढ़ने पर यह पता चलता है कि मटियानी जी की बाल्यावस्था में ही उनके माता पिता का देहावसान हो गया था। उन्हीं के शब्दों में 'मेरा प्रारंभिक जीवन जंगलों की संगति में ही बीता है। बारहवें वर्ष में ही पिताजी और माँ की चिताएँ जला देने के बाद, मेरी अनाथ हथेलियाँ कुछ इतनी अभिशप्त हुईं कि मुझे लगता था, कि मेरे स्पर्श मात्र से सुख दु:ख में बदल जाएगा।'' ''प्रतिकूल उपलब्धियों के भोजपत्रों में प्रश्न-ही-प्रश्न अंकित हैं कि- कहीं असमय ही मेरे आत्मस्थ संकल्प-सूर्य की भ्रूण-हत्या तो नहीं हो जाएगी''....... ''वस्तुत: जितनी प्रतिकूल उपलब्धियों के बीच मुझे संघर्ष करना पड़ा है, उनमें जीने के लिए यह मेरी अहंकार भरी आस्था अनिवार्य थी। इस अतिभावुकतापूर्ण आस्था के सहारे ही मैंने अनास्था की बहुत सी अंधकार भरी घाटियों को पार किया है।''
धरोहर के झरोखे से मंगलवार पोस्ट 4 मार्च, 2014 मैं नहीं जानता था कि कला क्या बला होती है और कविता कैसी होती है केदारनाथ अग्रवाल प्रस्तुत आलेख केदारनाथ अग्रवाल की कविता यात्रा से संबंधित है। कैसे-कैसे उनकी रुझान काव्य के प्रति हुई उन्हीं के शब्दों में- ''गाँव के चारों तालाब भरे होते तो उनमें बत्तखों को तैरते- तिरते और सहज ही आर-पार जाते, चाव से निहारता पानी की उठती-गिरती लहरियों के साथ-साथ मैं भी लहरता, सुबह शाम के आसमान के रंगों से गाँव को रंगीन होते देखता......... नगाड़े की चोट पर पात्रों को नाचते-गाते, संवाद करते निरखता तो निरखता ही रह जाता ।'' केदारनाथ अग्रवाल की काव्य के प्रति रुचि कैसे और किन हालातों में पैदा हुई इसका भी संकेत उन्होंने दिया है -''एक बार एक आदमी ने जादू का तमाशा दिखाया। हवा में हाथ फैलाकर उसने लोगों के मनचाहे फल मँगाये और लोगों ने उन्हें खाया। इसका प्रभाव भी मेरे बालमन पर पड़ा। आम आदमी की सामर्थ्य से सब कुछ संभव है- ऐसा लगा। कुलबुलाहट हुई कि मैं भी ऐसा कर सकता तो कितना अच्छा होता। शायद कहीं मेरे मन के भीतर यह भावना पैठ गई और मेरी काव्य रुचि के लिए आधार बन गयी।'' केदार जी की यह पाण्डुलिपि केदार शोधपीठ बाँदा के सचिव श्री नरेंद्र पुण्डरीक एवं केदार जी की नातिन श्रीमती सुनीता द्वारा विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति श्री विभूति नारायण राय को 10 अप्रैल, 2011 में केदार जन्मशती समारोह के अवसर पर बाँदा में सौंपी गयी थी।
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